THE SMART TRICK OF BHUTNI KAHANI THAT NOBODY IS DISCUSSING

The smart Trick of Bhutni Kahani That Nobody is Discussing

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Bhootni ki Kahani


इसी बीच गांव का एक बच्चा कहीं खो गया। काफी ढूंढने के बाद भी बच्चा जब नहीं मिला, तो कुछ लोग कुएं के पास बच्चे को देखने के लिए गए। वहां पहुंचे लोगों ने बच्चे को कुएं के अंदर मरा हुआ पाया। अब एक तो कुएं का पानी खराब हो गया और दूसरा बच्चा कैसे मरा इसको लेकर गांव के सभी किसान परेशान हो गए थे।

एक युवा पर्वतारोही, आकाश, जो हिमालय की पहेलियों को सुलझाने का जुनून रखता था, एक दिन गुफा के पास पहुंचा। अचानक हवा ठंडी हो गई और अदृश्य जयकार गूंज उठी। आकाश डरा नहीं, बल्कि जिज्ञासा से भर गया। उसने गुफा में प्रवेश किया।

एक रात उसे कमरे में एक पारदर्शी आकृति दिखी। सफेद साड़ी पहने, चेहरे पर मुस्कान लिए एक महिला हवा में खड़ी थी। राहुल को डर नहीं लगा, वो मुस्कुराया और बोला, “नमस्ते सुमित्रा, तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारी ये हंसी कमाल की है।”

और मैं सोता रहा. मुझे लगा था कि गणेश रात को एग्जाम की तैय्यारी कर रहा होगा. और नींद भगाने के लिए कॉफी बना रहा होगा.

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भूत-प्रेत के किस्से सुनने में बेहद रोमांचक और दिलचस्प लगते हैं लेकिन क्या हो जब यह किस्से सिर्फ किस्से ना रहकर एक हकीकत की तरह आपके सामने आएं?

बिपिन :- मेरा परिवार वडोदरा में रहता है. पर मुझे वडोदरा शहर में कोई रूचि नहीं थी. मैं मुंबई में रहना चाहता था.

गांववालों को काजल की बातों पर यकीन नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे वो महल से आने वाली नीली रोशनी को अलग नजर से देखने लगे। वो उस रोशनी को डरावनी नहीं, बल्कि एक दुखी आत्मा की गुहार समझने लगे। वो महल के पास फूल और खिलौने छोड़ने लगे, यह दर्शाते हुए कि किसी को उनकी परवाह है।

और मुझसे माफी मांगकर अपना सिर खुजाते-खुजाते वहां से चला गया. दोपहर का खाना खा कर. मै कुछ जरूरी चीजें लेने बाजार चला गया.

वह एक बड़े से कक्ष में पहुंचा, जहां एक शाही सिंहासन खाली खड़ा था। हवा में लाल साड़ी की खूशबू और संगीत के अवशेष तैरते थे। अचानक, एक पारदर्शी आकृति उसकी तरफ घूम गई। यह अंजना थी, उसकी आंखों में शोक और जिज्ञासा का मेल।

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एक बार की बात है, एक छोटा सा गांव था। गांव के बीचों-बीच एक पुराना पेड़ था, जिसे लोग “चुड़ैल का पेड़” कहते थे। कहा जाता था कि पेड़ में एक भूतनी रहती है जो बच्चों को डराती है।

और वह हमारे साथ ही रुका. उस दिन मुझे नाईट शिफ्ट में जाना था.

ग्राम कुशालपुर के एक घर में चार किशोर बैठे हैं हरीश नारद, मुरली और गजा

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